NEET की चुनौतीयों को पार करने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि डॉक्टर बनने के बाद एक सुनिश्चित आय का रास्ता मिले लेकिन इस समस्या का समाधान निकालने के तरीके पर विचार करना आवश्यक है..।
यह NEET का सवाल देश में 23 लाख परिवारों की समस्याओं से जुड़ा है। देश में 700 मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ एक लाख सीटें होने के बावजूद, 23 लाख विद्यार्थी NEET जैसी राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा देते हैं, ताकि मेडिकल कोर्स की पढाई के लिए एडमिशन मिल जाये। परीक्षा के दौरान हुए विवाद और रिजल्ट में हुई गड़बड़ी ने इन विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में डाल दिया है.
यह मामला Supreme Court of India में पहुंच गया है, इसलिए अब कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती जब तक निर्णय नहीं आ जाता सभी विद्यार्थियों और उनके परिवारों को परीक्षा दोबारा होगी या नहीं इसकी की चिंता सत्ता रही है। परीक्षा आयोजित करने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) ने अपनी गलती मानने से इनकार कर दिया, इससे समस्या और गंभीर हो गई।
11 July 2024, NEET hearing in Supreme Court:
आज सुप्रीम कोर्ट में नीट पर सुनवाई होगी। केंद्र सरकार ने SC में पहले हलफनामा दायर कर कहा कि नीट यूजी 2024 टेस्ट में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। साथ ही, NTA ने नीट पेपर लीक वीडियो को गलत बताया है। दोपहर बाद न्यायालय नीट हियरिंग शुरू करेगा।
दरअसल शिक्षा क्षेत्र सरकार के लिए कभी भी महत्वपूर्ण रहा ही नहीं । यह क्षेत्र गैर-उत्पादक है, इसलिए सरकार को इसका आर्थिक बोझ उठाना मुश्किल लगता है; इससे निजीकरण आसान हो जाता है। इंजीनियरिंग कोर्स में रुझान धीरे-धीरे कम हो गया, जिससे कॉलेज खाली होने लगे मेडिकल कोर्स में भीड़ कम नहीं हुई सरकारी मेडिकल कॉलेजों की लागत और निजी कॉलेजों की लागत में इतना भारी अंतर हो गया कि आम लोगों को परेशान कर रहा है। भारत में निजी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में विदेश में कम खर्च में चिकित्सा शिक्षा मिलने से हजारों विद्यार्थी विदेश चले गए।
Read also : ICAI Result 2024: आईसीएआई सीए फाइनल और इंटरमीडिएट के नतीजे जारी, ऐसे करें चेक
140 करोड़ की आबादी वाले अपने देश में चिकित्सकों की भारी कमी है, इसका व्यापक रूप से इसका असर कोरोना काल में देखने को मिला . राष्ट्रीय मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए 8 साल पहले NEET की परीक्षा शुरू हुई। तब से अबतक इसकी विश्वसनीयता पर कई बार सवाल उठाए गए, यह परीक्षण प्रणाली अभी भी जारी है।
इस परीक्षा में 11वीं और 12वीं के अंकों का कोई महत्व नहीं रह गया, सिर्फ अच्छे अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश मिलता है। यह सुझाव दिया गया था कि 80-90% अंक पाने वाले विद्यार्थियों को ही परीक्षा देनी चाहिए, लेकिन यह नहीं किया गया। NEET की परीक्षा 12वीं से पहले ही ली जाती है, जिससे बारहवीं का महत्व कम हो जाता है। NEET की परीक्षा देने के ‘तंत्र’ को सीखने पर अधिक ध्यान दिया गया, जिससे विद्यार्थियों को लाखों रुपये खर्च कर कोचिंग क्लासेज में जाना पड़ा।
न्यायालय का फैसला आने में समय लग सकता है, और NEET परीक्षा कराने वाली संस्था अपनी गलती नहीं मानेगी। ऐसे में 23 लाख विद्यार्थियों का क्या होगा, इस प्रश्न पर गंभीरता से विचार नहीं किया जाना दुःखद है।