UPSC ने अपनी जांच में पाया कि पूजा खेडकर (Puja Khedkar) ने OBC और विकलांगता कोटे का गलत तरीके से लाभ उठाया था। उन्होंने परीक्षा में बैठने के लिए अपनी पहचान छिपाई और कई बार फर्जी जानकारी दी। इसके बाद UPSC ने उनकी आजीवन परीक्षा में बैठने पर पाबंदी लगा दी।
2009 से 2023 तक IAS चयन प्रक्रिया के 15,000 से ज्यादा उम्मीदवारों के डेटा की जांच की गई। UPSC ने पाया कि खेडकर के अलावा किसी अन्य उम्मीदवार ने नियमों का उल्लंघन नहीं किया था, इससे यह स्पष्ट हो गया कि उनकी चयन प्रक्रिया में ही गड़बड़ी थी।
Puja Khedkar के विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
Puja Khedkar की मुसीबतें तब बढ़ी जब पुणे के कलेक्टर सुहास दिवसे ने उनके दो साल के प्रोबेशन पीरियड में कार, स्टाफ और अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर सवाल उठाए, यह मामला महाराष्ट्र के मुख्य सचिव सुजाता सौनिक तक पहुंचा और इसके बाद खेडकर को वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया।
Puja Khedkar की संपत्ति और ओबीसी कोटे की पात्रता पर उठे सवाल
जांच में खुलासा हुआ कि Puja Khedkar के पिता, जो महाराष्ट्र सरकार में अधिकारी थे, के पास लगभग 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इस कारण वे OBC नॉन-क्रीमी लेयर की पात्रता नहीं रखती थीं। इसके अलावा, उन्होंने विकलांगता के लिए जरूरी सरकारी स्वास्थ्य जांच भी नहीं करवाई थी।
मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। खेडकर की मां, जो एक सरपंच थीं, का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे बंदूक लहराते हुए लोगों को धमका रही थीं इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई और खेडकर के पिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज हो गया।
Puja Khedkar के इस मामले ने प्रशासनिक सेवाओं की चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, इससे यह सवाल उठता है कि क्या भविष्य में ऐसे मामलों से निपटने के लिए चयन प्रक्रिया में और पारदर्शिता की जरूरत है?
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