दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University ) अपने भविष्य की योजना में नए और महत्वपूर्ण बदलावों की ओर बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय की ‘संस्थागत विकास योजना (IDP)’ और ‘रणनीतिक योजना 2047’ में प्रमुख लक्ष्य तय किए गए हैं, जिनमें ‘हरित परिसर’, ‘अंतर्विषयक शोध’ और ‘उपग्रह लॉन्च’ जैसी योजनाएं शामिल हैं।
इन पहलों का उद्देश्य विश्वविद्यालय को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाना और उसकी शोध गुणवत्ता में सुधार करना है। गुरुवार को हुई शैक्षणिक परिषद (AC) की बैठक में इन योजनाओं को मंजूरी मिली, और विश्वविद्यालय के कुलपति (VC) को इन्हें लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
हालांकि, इन योजनाओं का कुछ AC सदस्यों द्वारा कड़ा विरोध किया गया। इन सदस्यों ने एक असहमति पत्र भी प्रस्तुत किया, जिसमें IDP के मसौदे पर पुनर्विचार की मांग की गई। इसके बाद, VC ने एक समिति का गठन किया, जो AC सदस्यों से मिले सुझावों का अध्ययन करेगी और फिर संशोधित मसौदा प्रस्तुत करेगी।
Delhi University :नकल के आरोपों के बाद पुनः संशोधन
दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University ) की रणनीतिक योजना को पहले दिसंबर 2023 में पेश किया गया था, लेकिन उसमें नकल के आरोप लगने के बाद इसे वापस ले लिया गया। अब, संशोधित 22 पृष्ठीय दस्तावेज़ में शोध की गुणवत्ता सुधारने, समावेशी वातावरण बनाने और ‘’राष्ट्र प्रथम’’ के सिद्धांत पर जोर दिया गया है। इस संशोधित योजना को AC बैठक में पारित कर दिया गया है।
सतत विकास और वित्तीय स्वायत्तता की चिंता
IDP को लेकर शिक्षकों में चिंता है कि इससे (Delhi University ) विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। यह योजना सरकार से आर्थिक सहायता पर निर्भरता को कम करने पर जोर देती है, जिससे विश्वविद्यालय धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बन सके। हालांकि, कुछ AC सदस्यों का मानना है कि यह विश्वविद्यालय के व्यावसायीकरण और निजीकरण की ओर बढ़ने का संकेत है। इसके अंतर्गत छात्रों की फीस बढ़ाने, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) और बाहरी स्रोतों से धन जुटाने की बात कही गई है, जिससे गरीब और वंचित तबके के छात्रों पर वित्तीय दबाव बढ़ सकता है।
डिजिटल शिक्षा का विस्तार और स्वायत्तता का मुद्दा
IDP में डिजिटल और हाइब्रिड शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रस्ताव है, लेकिन AC के कुछ सदस्यों ने आशंका जताई कि इससे कक्षा में होने वाली पारंपरिक शिक्षा प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, प्रस्तावित योजना के तहत विश्वविद्यालय के कुछ प्रमुख निकायों में बाहरी व्यक्तियों की नियुक्ति का सुझाव दिया गया है, जिससे (Delhi University ) विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर प्रश्न खड़े हो सकते हैं।
शिक्षकों और छात्रों के हितों पर प्रभाव
Delhi University AC के एक सदस्य, मिथुराज धुसिया ने IDP को “शिक्षक-विरोधी, छात्र-विरोधी और शिक्षा-विरोधी” करार दिया। उनके अनुसार, यह योजना विश्वविद्यालय को सरकारी अनुदान से दूर करके आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ले जाने की कोशिश है, जिससे कमजोर वर्ग के छात्रों को वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, इस योजना में विश्वविद्यालय में ड्रोन आधारित निगरानी का प्रस्ताव भी है, जिसे लेकर भी आपत्ति जताई गई है।
नए कोर्स और सेंट स्टीफन के साथ संवाद की पहल
बैठक में पूर्वी एशियाई भाषा पाठ्यक्रमों की शुरुआत की भी मंजूरी दी गई, जिसमें रामजस कॉलेज में कोरियाई भाषा में उन्नत डिप्लोमा कोर्स शामिल है। इसके साथ ही, सेंट स्टीफन कॉलेज और विश्वविद्यालय के बीच हालिया विवादों को सुलझाने के लिए एक संवाद समिति का गठन भी किया गया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University ) एक ओर सतत विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़े कदम उठा रहा है, वहीं दूसरी ओर इन योजनाओं को लेकर कई शिक्षकों और छात्रों के बीच चिंताएं भी उभर रही हैं। विश्वविद्यालय की दिशा में ये बदलाव किस हद तक सकारात्मक साबित होंगे, यह समय ही बताएगा, लेकिन इनका असर छात्रों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर गहरा हो सकता है।
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