Buddhadeb Bhattacharya : बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन 8 अगस्त 2024 को सुबह 8:20 बजे उनके पाम एवेन्यू स्थित फ्लैट में हुआ, वे पिछले 11 वर्षों से शारीरिक समस्याओं के कारण घर में सीमित थे और सीओपीडी से पीड़ित थे। हाल के दिनों में उनकी सांस की तकलीफ बढ़ गई थी, और बावजूद ऑक्सीजन देने के, उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
Buddhadeb Bhattacharya का जन्म 1944 में उत्तर कोलकाता में कवि सुकांत भट्टाचार्य के परिवार में हुआ था। उन्होंने 1961 में शैलेन्द्र सरकार विद्यालय से उच्च माध्यमिक की परीक्षा पास की और 1964 में प्रेसिडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य में स्नातक किया। स्कूल और कॉलेज जीवन में ही वे एनसीसी से जुड़े और बाद में सीपीआई (एम) के राज्य और केंद्रीय समितियों के सदस्य बने।
Buddhadeb Bhattacharya राजनीतिक यात्रा और उपलब्धियां ;
Buddhadeb Bhattacharya 1960 के दशक में प्रेसिडेंसी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने बामफ्रंट के नेताओं की नजरों में आ गए और छात्र राजनीति में कदम रखा। 1977 में काशीपुर से चुनाव जीतकर विधायक बने और 1987 में यादवपुर विधानसभा से चुने गए। वे लगातार 24 वर्षों तक इस क्षेत्र के विधायक रहे।
2011 में परिवर्तन की लहर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।1977 से 1982 तक उन्होंने बाम सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग का कार्यभार संभाला। 2000 में ज्योति बसु के इस्तीफे के बाद वे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने और 2001 से 2011 तक इस पद पर रहे। हालांकि, 2011 में तृणमूल कांग्रेस की लहर में वे यादवपुर से हार गए।
2012 के बाद से उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली और धीरे-धीरे खुद को घर में सीमित कर लिया। 2016 में एक बार फिर सक्रिय राजनीति में नजर आए, खासकर कांग्रेस के साथ बाम गठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, नंदीग्राम में आंदोलित किसानों पर गोली चलाने के आरोप भी लगे, लेकिन सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दी।
Buddhadeb Bhattacharya का निधन बंगाल की राजनीति के एक युग के समाप्त होने का संकेत है। उनके योगदान और संघर्ष को हमेशा याद किया जाएगा।
Read Also : ”Rajya Sabha by-election: 12 सीटों पर मुकाबले के बीच NDA की शक्ति और बीजेपी की उम्मीदों का नया अध्याय”