A P J Abdul Kalam : यह लेख एक नई दिशा की ओर इशारा कर रहा है, जहां बीजेपी डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि को एक नई रणनीति के तहत मना रही है। इस बार, पार्टी का फोकस मुसलमान वोटरों को साधने पर है और इसी उद्देश्य से डॉ. कलाम की पुण्यतिथि को एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देखा जा रहा है।
बीजेपी ने यह फैसला किया है कि Dr. A P J Abdul Kalam की पुण्यतिथि को पूरे देश भर में पार्टी के दफ्तरों और अन्य स्थानों पर मनाया जाएगा, और इसके लिए जिम्मेदारी संगठन के अल्पसंख्यक मोर्चे को सौंप दी गई है। खासकर, तमिलनाडु के रामेश्वरम में, जहां डॉ. कलाम का जन्म हुआ था, वहां प्रमुख कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम ने हाल ही में एक वर्चुअल बैठक की, जिसमें अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी और सौ से अधिक अन्य पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक में तय किया गया कि 27 जुलाई को रामेश्वरम में एक भव्य कार्यक्रम होगा, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री भी शामिल होंगे। इसके अलावा, एक बाइक रैली निकाली जाएगी, डॉ. कलाम की मूर्ति पर माल्यार्पण किया जाएगा और एक मेडिकल कैंप भी आयोजित किया जाएगा।
इसके अलावा, बीजेपी ने यह भी योजना बनाई है कि इस पुण्यतिथि पर देश भर में Dr. A P J Abdul Kalam के नाम पर पांच युवा कारोबारियों को ‘युवा उद्यमिता अवार्ड’प्रदान किया जाएगा।
इस आयोजन के माध्यम से बीजेपी ने न केवल डॉ. कलाम की योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने का इरादा जताया है, बल्कि इस अवसर का उपयोग अल्पसंख्यक समुदाय के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए भी किया है।
Dr. A P J Abdul Kalam साहब का भारत के लिए योगदान ;
A. P. J. Abdul Kalam का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम हैं , जिन्हें आम तौर पर “मिसाइल मैन” और “जनता के राष्ट्रपति” के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के 11वें राष्ट्रपति थे। उनकी पहचान सिर्फ एक राष्ट्रपति के रूप में ही नहीं, बल्कि एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और इंजीनियर के रूप में भी बनी। कलाम साहब ने यह सिखाया कि चाहे जीवन में कितनी भी मुश्किलें हों, अगर आप अपने सपनों को पूरा करने का इरादा कर लें, तो उन्हें पूरा किए बिना चैन से नहीं बैठना चाहिए। उनके विचार आज भी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
कलाम जी ने अपनी सेवाएं मुख्य रूप से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में दीं, चार दशकों तक विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में उनके योगदान ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइलों के विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया। उन्हें भारत में ‘मिसाइल मैन’ के रूप में सम्मानित किया गया, खासकर बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए।
1974 में भारत द्वारा किए गए पहले परमाणु परीक्षण के बाद और फिर 1998 में पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण के दौरान उन्होंने निर्णायक भूमिका निभाई। 2002 में, वह भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस दोनों के समर्थन से राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्षों की राष्ट्रपति पद की सेवा के बाद, उन्होंने शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा में वापस लौटकर अपना जीवन समर्पित किया। उनके नाम से जुड़े कई पुरस्कारों में भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान शामिल है।
A P J Abdul Kalam साहब का प्रारम्भिक जीवन ;
15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के धनुषकोडी गाँव में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में A P J Abdul Kalam साहब का जन्म हुआ था, उनके पिता जैनुलाब्दीन की ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे और आर्थिक स्थिति भी उतनी मजबूत नहीं थी।वह मछुआरों को नाव किराये पर देते थे। कलाम साहब का जीवन एक संयुक्त परिवार में बीता, जिसमें कुल मिलाकर तीन परिवार एक ही घर में रहते थे। परिवार में अब्दुल कलाम साहब पाँच भाई और पाँच बहन थे।
उनके पिता जैनुलाब्दीन साहब का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। हालांकि वे शिक्षित नहीं थे,उनकी मेहनत और संस्कारों ने अब्दुल कलाम की जीवन यात्रा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पाँच साल की उम्र में, उन्होंने रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा शुरू की। वहाँ उनके शिक्षक, इयादुराई सोलोमन ने उन्हें जीवन में सफलता के लिए तीव्र इच्छा, आस्था, और अपेक्षा की अहमियत समझाई।
एक बार जब A P J Abdul Kalam के गणित के शिक्षक उन्हें पक्षियों के उड़ने के तरीके के बारे में बता रहे थे, और छात्र समझ नहीं पा रहे थे, तो शिक्षक ने उन्हें समुद्र तट पर ले जाकर उड़ते हुए पक्षियों को दिखाया। यही दृश्य देखकर अब्दुल कलाम ने तय कर लिया कि वह भविष्य में विमान विज्ञान में अपना करियर बनाएंगे। गणित में अपनी गहरी रुचि के चलते, वह सुबह चार बजे गणित की ट्यूशन के लिए भी उठते थे।
A P J Abdul Kalam ने अपनी शुरुआती शिक्षा के दौरान अख़बार बाट करके पैसे भी कमाए और अपनी शिक्षा पूरी की । 1950 में, उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान (space science) में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। स्नातक होने के बाद, उन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) में हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम किया। 1962 में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़े और कई सफल उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष रूप से, उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान,slv 3, के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई, जिसने जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षिप्त किया।
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