Mumbai का आज का दिन बेहद भावुक रहा। देश ने अपने प्रिय उद्योगपति और परोपकारी रतन टाटा (Ratan Tata) को अंतिम विदाई दी। गुरुवार सुबह, 10 अक्टूबर 2024 को,उनके पार्थिव शरीर को उनके निवास से फूलों से सजी गाड़ी में ले जाकर दक्षिण मुंबई के एनसीपीए (नेशनल सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्ट्स) में रखा गया, जहां उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए देश के विभिन्न कोनों से लोग आए।
Ratan Tata के निधन की खबर
रतन टाटा (Ratan Tata) का निधन बुधवार रात (9 अक्टूबर 2024) को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। वह 86 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से उम्र संबंधी समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। देशभर से श्रद्धांजलियां आनी शुरू हो गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “रतन टाटा एक दृष्टा व्यापारी, करुणामय आत्मा और असाधारण व्यक्ति थे।”
कांग्रेस पार्टी ने भी गहरा शोक व्यक्त किया, “रतन टाटा के निधन से देश ने एक ऐसे दानवीर और उद्योग जगत के विशालकाय नेता को खो दिया है, जिसने भारत के कॉर्पोरेट जगत को एक नई दिशा दी।”
Ratan Tata की असाधारण यात्रा
रतन टाटा (Ratan Tata) का जीवन भारतीय उद्योग और परोपकार के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष का पद संभाला, जब भारतीय अर्थव्यवस्था का उदारीकरण शुरू हुआ था। उनके कुशल नेतृत्व में टाटा समूह ने न सिर्फ देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सशक्त पहचान बनाई।
उनके नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने ब्रिटिश ऑटोमोबाइल ब्रांड जैगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण किया, जिसे एक बड़ी सफलता के रूप में देखा गया। हालांकि, कोरस स्टील के अधिग्रहण को चुनौतीपूर्ण माना गया, लेकिन रतन टाटा ने हर मुश्किल का सामना करते हुए समूह को सफलता के रास्ते पर बनाए रखा।
Ratan Tata की समाज के प्रति योगदान
Ratan Tata को एक सफल उद्योगपति के साथ-साथ एक महान परोपकारी व्यक्ति के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छ पेयजल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में परियोजनाओं को प्रोत्साहन दिया, जिससे समाज के लाखों लोगों को सीधा लाभ मिला। उनके नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट्स ने समाज कल्याण के क्षेत्र में असंख्य कार्य किए, जिससे रतन टाटा की छवि एक दानवीर के रूप में और भी मजबूत हुई।
टाटा संस (Tata Sons) के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “रतन टाटा का जाना सिर्फ हमारे समूह के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वह केवल एक नेता नहीं थे, बल्कि प्रेरणा का स्तंभ थे। उनके सिद्धांत और दूरदर्शिता ने न केवल टाटा समूह को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया, बल्कि देश की प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके आदर्श हमारे मार्गदर्शक बने रहेंगे और हमें आगे बढ़ने का साहस देते रहेंगे।”
व्यक्तिगत जीवन और उपलब्धियाँ
रतन टाटा (Ratan Tata) का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से वास्तुकला की पढ़ाई की और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक और घरेलू स्तर पर कई बड़े अधिग्रहण किए, जिससे समूह की आय और प्रभाव में अत्यधिक वृद्धि हुई। उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मानों में से एक पद्म विभूषण और ब्रिटेन के प्रतिष्ठित नाइट ग्रैंड क्रॉस से नवाजा गया।
एक विरासत जो अमर रहेगी
Ratan Tata के योगदान को याद करते हुए कहा जा सकता है कि उन्होंने उद्योग, परोपकार और नैतिकता का ऐसा संगम स्थापित किया, जो सदियों तक प्रेरणा देता रहेगा। उनका नाम हमेशा उन महान व्यक्तियों में गिना जाएगा, जिन्होंने सिर्फ अपने उद्योग को ही नहीं, बल्कि समाज को भी ऊँचाइयों तक पहुँचाने का काम किया। उनके जाने से देश ने एक अनमोल रत्न खो दिया है, लेकिन उनकी विरासत हमारे दिलों में और समाज में हमेशा जीवित रहेगी।
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