GOAT Movie Review: फिल्म ”GOAT” की कहानी MS गांधी विजय (Vijay) पर आधारित है, जो कभी एक खास आतंकवाद विरोधी दस्ते (SATS) का प्रमुख सदस्य था, अब वह एक साधारण जीवन जी रहा है और अपनी पहचान को अपने परिवार से छुपा कर रखता है। लेकिन एक अप्रत्याशित घटना उसकी पुरानी जिंदगी को फिर से सामने ला खड़ी करती है और उसका परिवार खतरे में पड़ जाता है।
”GOAT” विजय (Vijay) के प्रशंसकों के लिए एक खास पेशकश है ,इस फिल्म में विजय न केवल हीरो की भूमिका निभा रहे हैं बल्कि एक प्रभावी खलनायक के रूप में भी नज़र आते हैं। फिल्म की शुरुआत एक शानदार और दिलचस्प एक्शन व इमोशनल सीक्वेंस के साथ होती है, जो दर्शकों को जोड़ कर रखती है। विजय की दोहरी भूमिका—एक युवा और एक वरिष्ठ—के बीच की टकराहट सबसे ज्यादा आकर्षित करती है।
हालांकि, फिल्म का दूसरा हिस्सा कई मोड़ों से भरा हुआ है, लेकिन कहानी की गति धीमी हो जाती है, खासकर क्लाइमेक्स में। क्रिकेट मैच के दौरान का सीन थोड़ा लंबा खींचा गया लगता है। कहानी में कुछ नयापन नहीं है, जो इसे पहले से अनुमानित बना देता है। विजय की एक्टिंग बेजोड़ है, लेकिन कहानी की कमी इसे कमजोर बना देती है।
Vijay का शानदार प्रदर्शन:
विजय (Vijay) ने अपने दोनों किरदारों को शानदार तरीके से निभाया है, उनका खलनायक अवतार बेहद आकर्षक और दमदार है। फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण विजय का यह दोहरा रूप है। सह-कलाकारों में प्रशांत, प्रभुदेवा, स्नेहा और जयराम ने भी अपने किरदारों में अच्छा योगदान दिया है। कॉमेडी का तड़का लगाने वाले योगी बाबू और प्रेमजी की भूमिकाएं भी मनोरंजक हैं।
”GOAT” की तकनीकी पक्ष और विशेषताएं:
”GOAT” फिल्म में डि-एजिंग तकनीक का बहुत प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया गया है,जिससे यह फिल्म का एक मजबूत पहलू बन जाता है। हालांकि, संगीत और सिनेमैटोग्राफी औसत स्तर की रही। यवन शंकर राजा का संगीत एक्शन सीक्वेंस में तो अच्छा लगता है, लेकिन गानों में वो प्रभाव नहीं है।
फिल्म में कई पुरानी फिल्मों के संवाद और इशारे शामिल हैं, जो विजय के प्रशंसकों के लिए एक नॉस्टैल्जिया का अनुभव कराते हैं। फिल्म में विजय और निर्देशक वेन्कट प्रभु की पुरानी फिल्मों के तत्वों का संयोजन बड़ी ही सहजता से किया गया है। खासकर “अप्पड़ी पोडु” स्टेप और CSK मैजिक जैसे पलों ने दर्शकों से खूब तालियां बटोरीं।
”GOAT” विजय (Vijay) के कट्टर प्रशंसकों के लिए तो एक मनोरंजक अनुभव है, लेकिन जिन दर्शकों को एक नई और ठोस कहानी की उम्मीद थी, उनके लिए यह फिल्म थोड़ा निराशाजनक हो सकती है। कुल मिलाकर, यह फिल्म ‘महानतम’ का दर्जा तो नहीं हासिल करती, लेकिन विजय के फैंस के लिए यह यादगार जरूर है।
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